
Black Warrant रिव्यू: विक्रमादित्य मोटवानी ने 2025 के लिए बार सेट की!
Black Warrant एक ऐसी सीरीज़ है जो आपको जेल ड्रामा के नए मापदंड दिखाती है। इसका डायरेक्शन किया है विक्रमादित्य मोटवाने ने, और लीड रोल में हैं ज़हान कपूर। ये सीरीज तिहाड़ जेल के एक जेलर के जीवन पर आधारित है, जो असली कहानियों पर आधारित है। ज़हान कपूर का प्रदर्शन और मोटवानी का फिल्म निर्माण शैली मिलकार इस श्रृंखला को एक अलग ही स्तर पर ले जाता है।
Black Warrant का किस्सा क्या है?
Black Warrant का कथानक सुनील गुप्ता और सुनेत्रा चौधरी की किताब पर आधारित है, जो एक वास्तविक जीवन के जेलर के अनुभवों को कैद करती है। कहानी 1980 के दशक के तिहाड़ जेल की है, जहां एक नए जेलर सुनील गुप्ता (जहान कपूर) की यात्रा को दिखाया गया है। सुनील एक अंजाने और डरे हुए जेलर के रूप में कहानी की शुरुआत करता है, जो धीरे-धीरे जेल की कहानी और भ्रष्ट सिस्टम के साथ एडजस्ट करता है। कहानी में चार्ल्स शोभराज (सिद्धांत गुप्ता), इंदिरा गांधी के हत्यारे, और कुख्यात बिल्ला-रंगा जैसे पात्रों के साथ मुठभेड़ों को दिखाया गया है। साथ ही, सुनील का अपने सीनियर्स डीएसपी तोमर (राहुल भट्ट) और सहकर्मियों के साथ रिलेशनशिप भी एक्सप्लोर किया गया है।

विक्रमादित्य मोटवाने का जादू
निर्देशक विक्रमादित्य मोटवाने ने एक अनोखा सिनेमाई दृष्टिकोण लिया है। अनहोन एक्टर्स की आंखें इमोशन के जरिए कैप्चर करने की कोशिश करती हैं। एक सीन में भी अगर इंटेंसिटी कम हो, तो उनका फ्रेमिंग और कैमरा वर्क इमोशंस को हाईलाइट करता है। जेल ड्रामा अक्सर गोरे और खून से भरी होती हैं, लेकिन Black Warrant स्टीरियोटाइप को तोड़ती है। क्या शो में असहज क्षण हैं, लेकिन ये कभी भी घृणित नहीं लगती। ये दर्शकों के लिए एक बैलेंस क्रिएट करती है जो सच्चाई के करीब लगता है।
ज़हान कपूर की शानदार परफॉर्मेंस
ज़हान कपूर ने सुनील गुप्ता के रोल में एक मासूमियत और कमज़ोरी लाई है जो उनके किरदार को रिलेटेबल बनाता है। उनका लहजा और शारीरिक भाषा निम्न-मध्यम वर्ग दिल्ली के एक साधारण इंसान की याद दिलाती है। उनका अभिनय शशि कपूर की सादगी की याद दिलाती है, जो एक नॉस्टैल्जिक टच जोड़ती है।

राहुल भट्ट ने Black Warrant मे एक नैतिक रूप से ग्रे डिप्टी जेलर तोमर का रोल निभाया है, जो कभी एक जानवर तो कभी एक फैमिली मैन लगते हैं। परमवीर चीमा और अनुराग ठाकुर ने अपनी-अपनी भूमिकाओं में गहराई और विशिष्टता दी है। विशेष उल्लेख सिद्धांत गुप्ता का होगा, जिन्होंने चार्ल्स शोभराज का रोल निभाया है। उनका करिश्मा और फ्रेंच एक्सेंट उनके किरदार को अलग बनाता है।
Black Warrant की कहानी के मुख्य अंश
- वास्तविकता का स्पर्श: वास्तविक जीवन की घटनाओं को रचनात्मक रूप से दिखाने को करता है, लेकिन कभी-कभी तथ्यों को विकृत नहीं करता। राजनीतिक घटनाक्रम जैसे इंदिरा गांधी की हत्या और सिख विरोधी दंगों को भी दिखाया गया है।
- जटिल पात्र: Black warrant का हर पात्र का एक अपना आर्क है। चाहे वो एक जेलर हो या एक कैदी, हर किसी की कहानी अपने आप में अनोखी और भावनात्मक है।
- सामाजिक मुद्दे: जातिगत असमानता, गरीबी और भ्रष्टाचार जैसे सामाजिक मुद्दों को उजागर करता है, जो कहानी को और प्रासंगिक बनाता है।
- भावनात्मक गहराई: कहानी के बीच में फाँसी और कैदियों के संघर्ष को दिखाया गया है जो आपको भावनात्मक कर देता है। सुनील गुप्ता का अपने काम के साथ संघर्ष देखना एक प्रभावशाली अनुभव देता है।

क्या कमी रह गई?
कहानी के कुछ क्षणों में तटस्थता ज्यादा दिखाई देती है, जो कुछ जगहों पर भ्रम पैदा करती है। उदाहरण के तौर पर, बिल्ला-रंगा जैसे किरदारों के साथ सहानुभूति पैदा करने की कोशिश समस्याग्रस्त लगती है। इसी तरह, चार्ल्स शोभराज को ग्लैमराइज़ करना थोड़ा असहज लगता है।
तकनीकी प्रतिभा और समग्र प्रभाव
सिनेमैटोग्राफर सौम्यानंद साही का काम भी शो के विजुअल्स को बढ़ाना है। जेल के दृश्य यथार्थवादी और किरकिरे लगते हैं। पटकथा लेखक मोटवानी, सत्यांशु सिंह और अर्केश अजय ने कहानी को आकर्षक और अच्छी गति से रखा है।