Chess Champion and MS Dhoni Connection

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कैसे इंडिया के 2011 वर्ल्ड कप विनिंग कोच ने गुकेश डी को बनाया World Chess Champion

Indian Chess के नए सुपरस्टार ग्रैंडमास्टर गुकेश डोम्माराजू ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक जीत हासिल करके World Chess Championship का खिताब जीता। लेकिन, इस जीत के पीछे सिर्फ गुकेश की कड़ी मेहनत और समर्पण ही नहीं, बल्कि एक छुपा हुआ “धोनी कनेक्शन” भी है जो सफलता का हिस्सा है।

MS Dhoni – एक आदर्श और एक प्रेरणा

18 साल के chess champion गुकेश ने अपनी जीत के बाद कहा कि उनके बचपन के आदर्श एमएस धोनी हैं। धोनी की शांति और नेतृत्व गुणों ने हमेशा गुकेश को प्रेरित किया है। लेकिन ये कनेक्शन सिर्फ यहां तक ​​ही नहीं था। गुकेश के मेंटल कंडीशनिंग कोच पैडी अप्टन, जो धोनी के अंडर 2008-2011 तक भारतीय क्रिकेट टीम के साथ थे, उन्होंने गुकेश की तैयारी में एक अहम रोल प्ले किया।

Chess Champion बनाने मे पैडी अप्टन का रोल

मेंटल कंडीशनिंग कोच पैडी अप्टन ने गुकेश के साथ पिछले 6 महीने में काम किया। अप्टन वही कोच हैं जो 2011 विश्व कप के वक्त भारतीय क्रिकेट टीम के साथ थे और अब गुकेश को मानसिक ताकत बनाने में मदद की। अप्टन का कहना है कि गुकेश ने अपने गेम की तैयारी एक परीक्षा की तरह की – “पूरी किताब पढ़कर।” अन्होने गुकेश के हर पहलू पर काम किया – चाहे वो स्लीप रूटीन हो, डाउनटाइम का मैनेजमेंट हो, या गेम के वक्त अपने आप को मानसिक रूप से नियंत्रित करना है।

जीत तक का सफर

गुकेश के लिए World Chess Championship का सफर आसान नहीं था। पहले राउंड में हार और 12वें गेम में एक सेटबैक के बाद भी उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं तोड़ा। उनकी रणनीति और अप्टन की गाइडेंस ने उन्हें हर महत्वपूर्ण क्षण में संभाल कर जीत की तरफ ले जाने में मदद की।

Chess चैंपियनशिप के अंतिम क्षणों में, जब गुकेश ने डिंग लिरेन की एक गलती को स्पॉट किया, तब उनकी शांति और केंद्रित दृष्टिकोण काफी स्पष्ट था। अप्टन ने खुलासा किया कि उन्होने गुकेश के साथ हर स्थिति पर चर्चा की थी – जब वो गेम में आगे हो, जब पीछे हो, हां जब स्कोर लेवल हो।

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क्रैमनिक का क्रोध

लेकिन हर कहानी में एक आलोचक ज़रूरी होता है। पूर्व Chess champion  व्लादिमीर क्रैमनिक ने गुकेश और लिरेन के बीच खेले गए मैचों की आलोचना की, उन्हें “निराशाजनक” और “बचकाना” कहा। अनहोनी तो ये तक कह दिया कि ये शतरंज का “अंत” है।

नए  Chess Champion चैंपियन के नाम एक नया युग

गुकेश अब सिर्फ 18 साल की उम्र में दुनिया के सबसे युवा World Chess Champion बन गए हैं, जो गैरी कास्परोव के 1985 के रिकॉर्ड को तोड़ता है। क्रैमनिक के आलोचनात्मक टिप्पणियों के बावजूद, गुकेश की जीत ने एक नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का काम किया है।

Chess Champion गुकेश की ये जीत सिर्फ उनकी मानसिक और तकनीकी ताकत का प्रमाण नहीं है, बल्कि ये दिखती है कि किस तरह एक संरचित दृष्टिकोण और सही मार्गदर्शन बड़ी से बड़ी मुश्किल को पार किया जा सकता है। धोनी का धैर्य और पैडी अप्टन की प्लानिंग – दोनो का एक परफेक्ट मिक्स हमें इस नए चैंपियन के सफर में नजर आता है।

क्या गुकेश Chess के नए युग को परिभाषित करेंगे? ये देखना अब बहुत दिलचस्प होगा!

एक फ्लाइट चेन्नई से सिंगापुर तक चार घंटे का सफर होता है, ज्यादा या कम। लेकिन भारतीय शतरंज प्रशंसकों के लिए रिडेम्पशन का ये सफर पूरे 11 साल का था। 2013 में चेन्नई में, एक अरब सपने टूट गए जब विश्वनाथन आनंद मैग्नस कार्लसन के हाथ हार गए। इसके साथ उनका छह साल का ज़बरदस्त शासनकाल एक महान शतरंज खिलाड़ी के रूप में ख़तम हो गया।

अब, 11 साल बाद, सिंगापुर में, गुकेश ने डिंग लिरेन को हारा दिया एक ऐसे शानदार खेल में जो विश्व शतरंज चैंपियनशिप के इतिहास में अमर हो गया।

जब गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती, कहीं ना कहीं विश्वनाथन आनंद के चेहरे पर एक संतुष्ट मुस्कान थी। गुकेश के इस अमर कारनामे ने आनंद की विरासत को और भी मजबूत बना दिया। वैसे भी, गुकेश वेस्टब्रिज आनंद शतरंज अकादमी का हिसा है, और अब ये अकादमी एक विश्व चैंपियन का निर्माण कर चुकी है।

जब आनंद ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती थी, तब का जमाना कुछ और था। FIDE में विवाद था. काई वेस्टर्न लोग ये मानते थे कि एक इंडियन के पास वर्ल्ड टाइटल जीतने का माइंडसेट नहीं है। जब आनंद ने 2000 में टाइटल जीता, तो लोगों ने कहा कि फिडे स्प्लिट था और बेस्ट प्लेयर काफी विवादित था। लेकिन 2007 से 2012 तक आनंद का एक बेजोड़ दबदबा था।

गुकेश के केस में, सवाल था कि आनंद के बाद कौन लेगा? आनंद के नुकसान के बाद एक दशक में सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का धमाका हो चुका था। शतरंज के इंजन परिष्कृत हो रहे थे। तैयारी में सोशल मीडिया एक एक्स-फैक्टर बन गया था।

ये सब उबर कर, सिर्फ 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनना एक यादगार पल है जो हमेशा याद रहेगा।

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