
महाकुंभ stampede: भगदड़ से दहल उठा त्रिवेणी संगम
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान, मौनी अमावस्या के पवित्र अवसर पर त्रिवेणी संगम पर एक भयावह stampede(भगदड) ने सबको हिला दिया। करोड़ के सांख्य में श्रद्धालू सुबह के 2.30 बजे बजे के आस पास “अमृत स्नान” करने के लिए इकtठ्ठा हुए थे, जब यह दुर्घटना घटित हुई।
भारी भीड़ और संकट का मौसम
एक वीडियो जो त्रिवेणी संगम घाट के ऊपर से लिया गया था, उसमें एक रंग-बिरंगी भेद का समुंदर दिख रहा था। टेंट, झंडे और अस्थायी रास्ते पूरे महाकुंभ का नजारा बहुत अलग था। लेकिन, ये भीड़ एक stampede (भगदड़) में तब्दील हो गई, जो 15 लोगों की जान ले गया और कई लोग घायल हुए।

अखाड़ों ने अमृत स्नान रद्द किया
Stampede (भगदड) के तुरंत बाद काई अखाड़ा जो “अमृत स्नान” में भाग लेने वाले थे, उन्होंने अपनी योजनाओं को रद्द कर दिया। जूना अखाड़े के प्रशासक नारायण गिरि के अनुसर, उनको भेद के कारन अपने स्नान को टाल दिया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि ये फैसला स्थिति को देखते हुए लिया गया है।
मुख्यमंत्री की अपील
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से अपील की कि वह संगम तट की तरफ न जाएं और गंगा के पास बने अन्य घाटों पर स्नान करें। सीएम ने ये भी कहा कि ये सभी घाट पवित्र हैं और लोग यहां अपने अनुष्ठान सुरक्षित तरीके से पूरा कर सकते हैं।
“Missmanagement ” और ” VIP कल्चर” के आरोप
इस stampede (भगदड़) के बाद, विपक्ष ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार पर कुप्रबंधन और वीआईपी संस्कृति का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ये वीआईपी कल्चर बैंड होना चाहिए और आम लोगों की सुरक्षा के लिए अच्छा इंतज़ाम होना चाहिए।

चश्मदीदों ने बताई आंखों देखी
Stampede (भगदड़) के वक्त वहां मौजूद लोगो ने अपने अनुभव साझा किये। कर्नाटक की सरोजिनी ने कहा, “हम ग्रुप में आए थे, लेकिन भीड़ में फंस गए और कोई बचने का रास्ता नहीं था।” एक अन्य व्यक्ति जो छतरपुर से आए थे, उन्हें अपनी मां के घायल होने की बात बताई।
महाकुंभ का महत्व और आने वाले दिन
त्रिवेणी संगम का स्नान हिंदू धर्म के अनुरूप सबसे पवित्र मन जाता है, जो लोगों के पाप धोता है और मोक्ष प्रदान करता है। इस साल, एक अनोखा योग “त्रिवेणी योग” 144 साल खराब हो रहा है, जो इस दिन को और भी खास बनता है।अधिकारियों ने लोगों को यह सलाह दी है कि वह घाटों पर निर्धारित गलियों का पालन करें और अपने स्नान के बाद अपने स्थान की और वापस चलें। महाकुंभ जो 12 साल में एक बार होता है, वो 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा।
भविष्य में सुरक्षा कैसे हो
ये हादसा एक बड़ा सवाल उठता है कि इतने बड़े योजना के दौरन का प्रबंधन कैसे किया जाए। शासन और प्रशासन को वीआईपी संस्कृति के अलावा श्रद्धालूओं के लिए भी सुरक्षा और व्यवस्था का ध्यान रखना होगा। ये हादसा एक सबक है जो दिखाता है कि सुरक्षा और व्यवस्था का क्या महत्व है। महाकुंभ के इस stampede (भगदड़) से पूरे देश में तबाही मची है, लेकिन ये हमें याद दिलाता है कि एकता और सुरक्षा दोनों साथ-साथ चलनी चाहिए। आने वाले स्नान के दिनों में हम सभी को सुरक्षित और संयमित रहना होगा।