Manmohan Singh : Father of economic reforms

Manmohan Singh

एक कहानी अर्थशास्त्र के महान ज्ञानी की

हिंदुस्तान के इतिहास में कुछ ऐसे नाम हैं जो हमेशा अमर रहेंगे। Dr . Manmohan Singh , एक ऐसी व्यक्ति, जिनको अपनी मौन भाषा में व्यवहारिक करिश्मा और आर्थिक समझ के बल पर भारत को नए आकाश पर ले जाया गया। यह कहानी है एक ऐसी व्यक्ति की जो ना सिर्फ अपने अर्थिक ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थी, बल्कि एक सुधारक और इमानदार नेता के रूप में भी याद किये जायेंगे।

बचपन से कैम्ब्रिज तक का सफर

Manmohan Singh का जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के गढ़, पंजाब (अब पाकिस्तान में) हुआ। एक सदाबहार किसान परिवार में जन्मे मनमोहन के जीवन का सफर आसान नहीं था। लेकिन उनकी लगन और पढ़ाई के प्रति जूनून ने उन्हें दुनिया के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय-कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड-तक पहुंचाया। वहां से उन्हें अर्थशास्त्र में फर्स्ट क्लास ऑनर्स और डीफिल की डिग्री प्राप्त हुई।

हाँ वही बुनियाद थी जिसने भारत के आर्थिक सुधारों के सपनों को एक आधार दिया।

Manmohan Singh

Manmohan Singh का महान अर्थशास्त्री के रूप में सिंह का योगदान

Manmohan Singh एक महान अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने विदेशी और देसी अर्थ व्यवस्था की गहराईयों का ज्ञान रखा। उनका करियर कई पड़ावों पर रहा, जहां उन्हें अपने आर्थिक ज्ञान का प्रदर्शन किया गया:

  1. मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976): इस पद पर रहकर सिंह ने भारत की आर्थिक नीति को सुधारने और नई दृष्टि लाने में मदद की।
  2. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985): आरबीआई के गवर्नर के रूप में उन्हें देश की मुद्रा नीति को सुधारने और विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि लेन का काम करना पड़ा।
  3. उपाध्यक्ष, योजना आयोग (1985-1987): योजना आयोग में उन्हें देश की आर्थिक योजना बनाने में योगदान दिया जो नये भारत की आधारशिला बनी।

Manmohan Singh के आर्थिक ज्ञान और सुधारों की सूझ-बूझ की वजह से ही 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री बन गये ।

1991 का आर्थिक क्रांति और सिंह की भूमिका

1991 भारत के लिए एक कठिन साल था। देश में आर्थिक संकट था, विदेशी मुद्रा भंडारे ख़तम होने के कगार पर थे, और विकास रुक गया था। तब नरसिम्हा राव की सरकार ने मनमोहन सिंह को अपना वित्त मंत्री बनाया। इस फैसले ने भारत का भविष्य बदल दिया।

Manmohan Singh ने अपना आर्थिक ज्ञान और सुधारों के लिए भारत को एक बंद अर्थव्यवस्थ से एक खुली और उदारीकृत अर्थव्यवस्थ में बदल दिया। उन्हें नए निर्देश दिए, जैसे की:

  • औद्योगिक नीति सुधार: भारत की बैंड उद्योग नीतियों को खुला बनाया और निजी क्षेत्र को ज्यादा आजादी दी।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई): विदेशी निवेश के लिए भारत के दरवाजे खोले।
  • रुपये का अवमूल्यन: क्या कदम से भारत के निर्यात प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं और विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है।
  • टैरिफ में कमी: आयात शुल्क कम हो गया, वैश्विक व्यापार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला।

सभी सुधारों के हालात में भारत की जीडीपी में वृद्धि हुई, नए रोजगार के अवसर बने और देश एक नए आर्थिक दौर में प्रवेश कर गया।

manmohan singh

एफडी में भरोसा: आर्थिक सुधारक की व्यक्तिगत निवेश नीति

Manmohan Singh कि निवेश के प्रति दृष्टि उनकी नीति से अलग थी। एक तरफ उन्हें भारत के दरवाजे विदेशी निवेश के लिए खोले, तो दूसरी तरफ व्यक्तिगत रूप से उन्हें हमेशा सावधि जमा (एफडी) और डाकघर योजनाओं पर भरोसा दिया।

उन्हें एक बार कहा था, “मैं स्टॉक मार्केट कि उथल-पुथल कि वजह से अपनी नींद खराब नहीं करूंगा।” ये व्यक्ति न सिर्फ अर्थशास्त्र का महारथी था, बल्की व्यक्तिगत आर्थिक नियोजन में भी अनुशासन और ध्रधाता का प्रतीक था।

2013 और 2019 के शपथपत्रों से मिले सबूत

Manmohan Singh और उनकी पत्नी गुरशरण कौर के निवेश का चित्र उनके 2013 और 2019 के राज्यसभा चुनाव हलफनामे से स्पष्ट होता है।

  • 2013: Manmohan Singh कि कुल संपत्ति रु. 11 करोड़ थी. उनके पास रु. 4 करोड़ की एफडी और बैंक सेविंग. डाकघर योजनाओं में रु. 4 लाख था.
  • 2019: उनका धन रु. 15 करोड़ तक पहुंच गया. दिल्ली और चंडीगढ़ में उनके 2 मकान की कुल कीमत रु. 7 करोड़ थी. एफडी में रु. 7 करोड़ और डाकघर योजना में रु. 12 लाख निवेश था.

यह दर्शाता है कि एफडी के पुनर्निवेश से उन्हें अपनी संपत्ति 6 ​​सालों में रु. 4 करोड़ बधा ली.

Manmohan Singh की महान उपलाब्धियां

Manmohan Singh के योगदान और उपलब्धियान भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएंगी:

  1. आर्थिक उदारीकरण: 1991 के सुधार ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्थान दिलाया।
  2. पहला मोबाइल क्रांति: उनके समय में टेलीकॉम सेक्टर को नियंत्रणमुक्त किया गया, जो भारत में मोबाइल क्रांति का कारण बना।
  3. ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम: 2005 में उन्होंने मनरेगा का शुभारंभ किया, जो भारत के गांव में रोजगार के नए अवसर लेकर आया।
  4. RTI अधिनियम: उनकी सरकार ने 2005 में आरटीआई को लागू किया, जिसके शासन में पारदर्शिता आई।
  5. परमाणु समझौता: 2008 में अमेरिका के साथ नागरिक परमाणु समझौता हुआ, जो भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ।

अंतिम विचार

Manmohan Singh सिर्फ भारत के आर्थिक सुधारक नहीं थे, बल्की एक आदर्श निवेशक, सुधारक, और इमानदार नेता थे। उन्हें देश को नये आर्थिक आयाम दिये, लेकिन व्यक्तित्व रूप से वो हमेशा सम्प्रति और सुरक्षित व्यक्ति रहे।

Manmohan Singh ने हमें सिखाया कि आर्थिक समझ के साथ अनुशासन और ईमानदारी होनी चाहिए, चाहे आप एक देश संभाल रहे हों या अपना घर। ऐसे नेता को भारत हमेशा याद करेगा। एक आम आदमी आर्थिक स्तर पर सक्षम कैसे हो इस विचारधारा से उन्होने देश कि उन्नत्ती कि ओर हमेशा कदम उठाया ना कि ढेर सारे taxes लादकर आम आदमी का जीना मुश्कील कर दिया !

Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Comment